कानपुर : मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से के प्रशिक्षण कुशल जन्म परिचारक (एसबीए) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मंगलवार से यहां शुरू हो गया। का तीसरा चरण एसबीए प्रशिक्षण में पांच दिनों का सिद्धांत शामिल होगा, जिसके बाद जिला महिला अस्पताल, डफरिन में प्रसव के दौरान उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से निपटने के लिए प्रशिक्षुओं को 16 दिनों का विस्तृत प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी आलोक रंजन कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य मातृ-शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाना है। हालाँकि जिले की स्थिति में सुधार हुआ था, फिर भी सुधार की गुंजाइश थी।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. एसके सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं। प्रसव कार्य से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों को सतर्क होकर अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और लोगों को जागरूक करना होगा कि लिंग निर्धारण और भ्रूण हत्या कानूनन अपराध है। अनावश्यक अल्ट्रासाउंड की प्रवृत्ति से भी बचना है।
पहले दिन जिला महिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ सुनीता सिंह ने उपस्थित स्टाफ नर्सों व आयुष चिकित्सा अधिकारियों को प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं के बारे में बताया और इससे बचाव के उपाय सुझाए। गर्भावस्था से लेकर प्रसव तक आने वाली गंभीर स्थितियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। पहले दिन जिला महिला अस्पतालों सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों की 16 स्टाफ नर्स और आयुष महिला डॉक्टर मौजूद रहीं।
जिला मातृ स्वास्थ्य सलाहकार हरि शंकर मिश्र बताया कि प्रशिक्षण कुल 21 दिनों तक चलेगा। पहले पांच दिन थ्योरी होंगे और उसके बाद 16 दिनों तक प्रशिक्षार्थियों को चार-चार के बैच में एफआरयू (फर्स्ट रेफरल यूनिट) में डिलीवरी के दौरान होने वाली जटिलताओं पर प्रशिक्षित किया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी आलोक रंजन कहा कि इस प्रशिक्षण का उद्देश्य मातृ-शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाना है। हालाँकि जिले की स्थिति में सुधार हुआ था, फिर भी सुधार की गुंजाइश थी।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. एसके सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं। प्रसव कार्य से जुड़े स्वास्थ्य कर्मियों को सतर्क होकर अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और लोगों को जागरूक करना होगा कि लिंग निर्धारण और भ्रूण हत्या कानूनन अपराध है। अनावश्यक अल्ट्रासाउंड की प्रवृत्ति से भी बचना है।
पहले दिन जिला महिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ सुनीता सिंह ने उपस्थित स्टाफ नर्सों व आयुष चिकित्सा अधिकारियों को प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं के बारे में बताया और इससे बचाव के उपाय सुझाए। गर्भावस्था से लेकर प्रसव तक आने वाली गंभीर स्थितियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। पहले दिन जिला महिला अस्पतालों सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों की 16 स्टाफ नर्स और आयुष महिला डॉक्टर मौजूद रहीं।
जिला मातृ स्वास्थ्य सलाहकार हरि शंकर मिश्र बताया कि प्रशिक्षण कुल 21 दिनों तक चलेगा। पहले पांच दिन थ्योरी होंगे और उसके बाद 16 दिनों तक प्रशिक्षार्थियों को चार-चार के बैच में एफआरयू (फर्स्ट रेफरल यूनिट) में डिलीवरी के दौरान होने वाली जटिलताओं पर प्रशिक्षित किया जाएगा।